ऐसा नहीं कि भर गए जख्म-ए-दिल एकदम से
ढक दिया है मैंने उन्हें मरहम-ए-गम से
बनता रहे नासूर मगर तुमको न दिखे
है अगर कहीं खुदा तुम्हे महफूज़ रखे
लेकिन खुदा भी है आस्तिको की खुशफहमी
उसी तरह जैसे मुहब्बत थी मेरी
तुम प्यार को निवेश मानती हो
दिल-ए-बेचैनी को बकवास मानती हो
प्यार नहीं है कोइ व्यापारिक निवेश
असुरक्षा के कवच का ढीला परिवेश
[ईमि/१२.०४.२०१३]
1 टिप्पणी:
मैंने आज ही देखा
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