शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

आज की दृष्टि मे झारखण्ड......?



एतवा मुण्डा

गर्मी हो या बरसात।
रोज खेलते खूनी होती,
जंगल पहाड़ और गांव। 
खून से लत- पत आज 
यह कैसी राजनीति?

ज्ंागल की ओर जाते
 सैनिकों की बरात
उनकी आ”ाा देखते
नक्सली दुल्हन के साथ
यह कैसी राजनीति?

सहमी हुई रातें
जीवन और मरण से
 मजबूर ग्रामीण पलायन
प्रतिदिन को जाते। 
यह कैसी राजनीति 
तीन द”ाक के बाद 
भुले बिखरे पंचायत चुनाव 

यह एक फसाना नहीं...


तमसिल

यह एक फसाना नहीं, 
हकीकत है
अपना एक जहां यहां है
एक वहां है
प्यार पनपता यहां है
और परवान चढ़ता वहां है
जिंदगी कटती यहां है
और रक्स होती वहां है
दिल रहता यहां है
और धड़कता वहां है
सपने दिखते यहां है
और साकार होते वहां है
इरादे बनते यहां है
और मजबूत होते वहां है
गरचे सच कहूं तो तमसिल
इस जहां से उस जहां तक
जद्दोजहद जिंदगी का हर लम्हा है

साहिल

TAMSILNANDA 

ये वफ़ा का सिला है , तो कोई बात नहीं
ये दर्द तुम ने दिया है , तो कोई बात नहीं

यही बहुत है की तुम देखते हो साहिल से
दिल डूब रहा है , तो कोई बात नहीं

रखा था आशियाना -ऐ -दिल में छुपा के तुमको
वो घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

तुम ही ने आएना -ऐ -दिल मेरा बनाया था
तुम ही ने इसको तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

कहाँ किसी में है हिम्मत जो कहे दीवाना
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं ...