रविवार, 29 अगस्त 2010

सावन में

प्रेम प्रकाsh

सावन में तुम तो
आये सजना
पर सावन में
आया नहीं सावन

ला£ों का सावन
मनभावन सावन

फूलों से
गायब है सावन
बागों से
गायब है सावन
गीतों से
गायब है सावन
£ेतों से
गायब है सावन
सावन मे

बिन सावन
कैसे गायें
कजरी सावन

मनभावन सावन
लुभावन सावन

किसने चुराया
ये सावन
कहाॅ छुपाया
ये सावन
जाओ.........!
जाओ.........!
मेरे साजन
ढ़ुॅढ़ के लाओ
ये सावन
छीन के लाओ
ये सावन
मनभावन सावन
लुभावन सावन
प्रेम प्रकाsh

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

जवां होती हसीं लड़कियां

शाहिद अख्तर


जवां होती हसीं लड़कियां


जवां होती हसीं लड़कियां
दिल के चरखे पर
ख्वाब बुनती हैं
हसीं सुलगते हुए ख्वाब !

तब आरिज़ गुलगूं होता है
हुस्न के तलबगार होते हैं
आंखों से मस्ती छलकती है
अलसाई सी खुद में खोई रहती हैं
गुनगुनाती हैं हर वक्त
जवां होती हसीं लड़कियां...

वक्त गुजरता है
चोर निगाहें अब भी टटोलती हैं।
जवानी की दहलीज लांघते उसके जिस्मो तन
अब ख्वाब तार-तार होते हैं ।
आंखें काटती हैं इंतजार की घडि़यां।

दिल की बस्ती वीरान होती है
और आंखों में सैलाब।
रुखसार पर ढलकता है
सदियों का इंतजार।
जवानी खोती हसीं लड़कियां...

जवां होती हसीं लड़कियां
काटती रह जाती हैं
दिल के चरखे पर
हसीं सपनों का फरेब ।

जवां होती हसीं लड़कियों के लिए
उनके हसीं सपनों के लिए
हसीं सब्ज पत्ते
दरकार होते हैं। - शाहिद अख्तर

शनिवार, 14 अगस्त 2010

भारत माता की जय बोलो

भारत माता की जय बोलो
अलोका
चाहे भूखे हो, चाहे नंगे
भारत माता की जय बोलो
बेरोजगारी हो, भुखमरी
जय की जय जय हो
भूखे पेट हो
बीमार, लाचार,
पूरी व्वस्था,
समानता की लड़ाई लड़,
जर से जमीं तक कर रहा
मिला हमें सिर्फ
भूख गरीबी, बेरोजगारी,
भूखा नंगा भारत
जय बोलो भारत माता की



जनता के नाम

-पीयूष पंत

मना लो तुम आजदी, फहरा लो तिरंगा
कौन जाने कल, अब क्या होगा,
जिस तरह हमारी अभिव्यक्ति पर
पहरा लगाया जा रहा है,
देश की गरिमा और अस्मिता को
विश्व बैंक के हाथों
नीलाम किया जा रहा है,
‘विकास’ के नाम पर गरीबों, मजदूरों
और किसानों का आशियाना
उजाड़ा जा रहा है,
और जाति-धर्म के नाम पर कौम को
आपस में लड़ाया जा रहा है,
उठो कि अब थाम लो हाथ में मशाल तुम!
बचा लो, बचा लो तिरंगे की ‘आन’ तुम!!