एतवा मुण्डा
गर्मी हो या बरसात।
रोज खेलते खूनी होती,
जंगल पहाड़ और गांव।
खून से लत- पत आज
यह कैसी राजनीति?
ज्ंागल की ओर जाते
सैनिकों की बरात
उनकी आ”ाा देखते
नक्सली दुल्हन के साथ
यह कैसी राजनीति?
सहमी हुई रातें
जीवन और मरण से
मजबूर ग्रामीण पलायन
प्रतिदिन को जाते।
यह कैसी राजनीति
तीन द”ाक के बाद
भुले बिखरे पंचायत चुनाव
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