अरुणा शर्मा
यह स्याह रात भी
बीत जायेगी
उन बीती अनेक
रातों की तरह,
कब तक तन्हाईयों
से रहेंगे रुबरु
जाने कब होंगी बातें
बातों की तरह,
क्यूं छाया रहता है
मुझपे सदा
तुम्हारी यादों का
रुमानी अहसास
तेरी खुशबू की तरह,
तुम्हें चाहना नियति
बन गई हमारी,
जैसे चाहा खूदा को
उस फकीर की तरह.......
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