मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

यह स्याह रात भी

अरुणा शर्मा


यह स्याह रात भी
बीत जायेगी
उन बीती अनेक
रातों की तरह,
कब तक तन्हाईयों
से रहेंगे रुबरु
जाने कब होंगी बातें
बातों की तरह,
क्यूं छाया रहता है
मुझपे सदा
तुम्हारी यादों का
रुमानी अहसास
तेरी खुशबू की तरह,
तुम्हें चाहना नियति
बन गई हमारी,
जैसे चाहा खूदा को
उस फकीर की तरह.......

कोई टिप्पणी नहीं: