रविवार, 21 अप्रैल 2013

उठो सीता, शस्त्र उठाओ


उठो सीता, शस्त्र उठाओ
उठो सीता, शस्त्र उठाओ प्रज्ञा का
बुलंद करो नारे नारीवादी संज्ञा का 
तोड़ दो तुलसी की पति-परायण सीमाएं
काट डालो लक्ष्मनों की सीमांकन रेखाएं
जला दो रावणों की अशोक वाटिकाएं
समुद्र में ड़ाल दो रामों की अग्नि-परीक्षाएं
मांगे कोई राम गर धोबी की शिकायत का जवाब
तलब करो उससे १४ साल के जंगल में मंगल का हिसाब
उठो सीता शस्त्र उठाओ अपनी प्रज्ञा का
भेद खोलो रामों की मर्दवादी, वर्णाश्रमी प्रतिज्ञा का
उठो सीता शस्त्र उठाओ और दो लक्ष्मनों पर तान
जुर्रत करे जो काटने की किसी सूर्पनखा के नाक-कान
[ईमि/०८.०१.२०१३]

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