ईश मिश्र
उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्ध में दृढ हो रहा था जब जर का निजाम
जानलेवा होता जा रहा था मेहनतकश का जी-तोड़ काम
शुरू किया सोचना जब मिलकर मजदूर सारा
समझ गया कि धोखा है स्वतन्त्रता-समानता-एकता का नारा
किया जब उसने अपने हक की लड़ाई का आगाज
दहल गया था जरदारों का पूरा समाज
साम्यवाद के भूत से पीड़ित था जब यूरोप सारा
दिया मार्क्स-एंगेल्स ने दुनिया के मजदूरों की एकता का नारा
मजदूरों के फर्स्ट इन्टरनेसनल ने भरा इसमें रंग
१८८६ में सिकागो के मजदूरों ने किया यह नारा बुलंद
हो गए हाकिम पुलिस के साथ सारे जरदार गोलबंद
मजदूर ने कहा कि वह भी इंसान है
जर्दारों की शान-ओ-शौकत में भरता वही जान है
रोक दे वह हाथ तो रुक जाए दुनिया का गति विज्ञान
श्रम ही रहा है इतिहास का मूलभूत कमान
कर नहीं सकता वह २४ घंटे काम
उसे भी चाहिए मनोरंजन और विश्राम
गूँज उठा नारा दिन में आठ घंठे काम का
बाकी वक़्त पर हक है खुद का आवाम का
उमड़ पडा जब हे-मार्किट में मजदूरों का जन सैलाब
गोली बारूद पुलिस की होने लगी बेताब
देख निहत्थे मजदूरों की ऐसी ताकत
झोंक दिया पुलिस ने काफी गोली बारूद
कई मजदूर हो गए थे शहीद इस इन्किलाबी जंग में
क्रांति का फरारा मिल गया उनके लाल खून के रंग में
शहादतें कभी नहीं जातीं बेकार
सालों बाद हुआ उनका आठ घंटे काम का सपना साकार
मनाई जा रही थी १८८९ में जब फ्रांसीसी क्रान्ति की शताब्दी
मजदूरों के सेकण्ड इंटरनेसनल ने पहली कांग्रेस आयोजित की
इस कांग्रेस ने सिकागो संघर्ष का संज्ञान लिया
याद में इसके १९९० से अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन का प्रस्ताव दिया
१९९१ में जब हुई सेकण्ड इंटरनेसनल की दूसरी कांग्रेस
मुद्दा सिकागो की लड़ाई का फिर से हुआ पेश
हुआ फैसला हर साल मनाने को सिकागो की शहादत
मई दिवस के मिली मजदूरों के अंतराष्ट्रीय दिवस की इज्ज़त
१८९४ के मई में हुआ मजदूरों का उग्र प्रदर्शन
१९०४ में दिखी अद्भुत मजदूर एकता
एक हो गए ट्रेड यूनियनों के साथ सारे क्रांतिकारी नेता
बुलंद किया नारा फिर से आठ घंटे के काम का अधिकार
गूँज उठा था इस नारे से सारा संसार
तब से मनाया जाता है मई दिवस
नव उदारवाद में दिखता मजदूर और भी विवश
करना पडेगा बुलंद मजदूर एकता के नारे भूमंडल के स्तर पर
हो गया है क्योंकि शोषण और पूंजी का भूमंडलीय चरित्र
इन्किलाब जिन्दाबाद
मजदूर एकता जिंदाबाद
[ईमि/०१.०५.२०१३]