डॉ अ कीर्तिवर्धन
मुझको रंग दो ...
इन्द्रधनुष के रंगों जैसा ,मुझको रंग दो ,
होली के रंगों को ,सतरंगी सा कर दो ।
राग ,द्वेष, बैर भाव, नफरत जड़ से मिटाकर ,
बासन्ती अवसर को खुशियों से भर दो ।
हिन्दू-मुस्लिम की बात नहीं करता यारों,
मानवता जन-जन के जीवन में भर दो ।
धर्म जाति और क्षेत्रवाद की खेल रहे जो होली ,
उन देश के दुश्मनों को ,होली में स्वाहा कर दो ।
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