शनिवार, 30 मार्च 2013

और उसके बारे में



और उसके 
बारे में तुम कभी नहीं जान पाओगे
कि कितना सब्र था उसमे
पिछली कई रातों से उसने अपनी आस्तीनें नहीं मोड़ी थी
उसने हमे बताया कि लड़कर एक नई व्यवस्था बनाने से पहले
हमे वह बचा लेना चाहिए

मसलन गांव का आखिरी घर
छोटी पहाड़ियों के बीच की जगह
और एक बनते हुए बांध का रुकना
जिसे वे खत्म कर देना चाहते हैं, परसों तक
वह जाने क्या-क्या बताता रहा देर सांझ 
और यह सब सुनने के लिए
कोयल नदी मुड़कर ठहर गई थी जाते-जाते......

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