सोमवार, 25 मार्च 2013

मैं नहीं रोया


Shahnawaz Malik Duwar 
लेखक-कवि मनु कांत चंडीगढ़ में रहते हैं। उनकी यह कवित द कश्मीर वाला से साभार। अनुवादः खुर्शीद अनवर

मैं नहीं रोया 
कोई वजह न थी रोने की 
अफ़ज़ल कश्मीरी था 
और मैं हिन्दुस्तानी 
अफ़ज़ल मुस्लिम था 
मैं पैदा हुआ हिंदू घर में 
इतना बस याद है तारीख थी नौ फ़रवरी 
अपने सीने से लगाये मैं लेनिन की वह किताब 
“राज्य और क्रांति” का लिखा है जहाँ सारा हिसाब 
लाल झंडे की गिरह खोल रहा था उस दम 


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