सोमवार, 25 मार्च 2013

एक देश की स्मृतियां हैं


एक देश की स्मृतियां हैं 
हम साइकिलें
जिनके सहारे
मजदूरों को पहुंचना था
खिलौनों तक
किसानों के खेतों तक
स्त्रियों के प्रेम तक
उन स्कूलों तक
जहां बच्चों को होना था

हम साइकिलें
उन दिनों की यादें हैं
जब नारे जवान हो रहे थे
किसान खेतों की सीढ़ियों
के सहारे
स्वर्ग पर धावा बोल रहे थे
नौजवान एसेंबली में
बम फेंक रहे थे
औरतें चूल्हों की बजाय
जुलूस में धधक रही थीं

हम साइकिलें
कभी एक देश हुआ करती थीं
जिनकी सीट पर बैठकर
नागरिकों को जाना था
मंदिरों, मठों और महलों के पार
जिनकी घंटियों से रचना था
एक नया संगीत
जिनकी गतियों से लिखा जाना था
एक नया इतिहास

हम साइकिलें
इंतजार में हैं अब भी
उन नागरिकों के
जिन्हें कोई एक देश को लेकर
खेत-खलिहानों, जंगल-पहाड़ों से
गुजरते हुए जाना है
पहुंचना है उस मंजिल तक
जहां प्रेम का एक दरिया है
मेहनत-मजूरी के लंगर हैं
खेत, कारखाने और जंगलों के
खिलखिलाते हुए बच्चे हैं

painting by Janine Gallizia

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