शनिवार, 30 मार्च 2013

Ish Mishra



तराशना है अगर समतावादी एक विकल्प 
लेना होगा नियंत्रण की वर्जानाएं तोड़ने संकल्प 
तोडनी होगी रश्म-ओ-रिवाज़ की दीवारें 
ध्वस्त करनी होंगी वैचारिक वर्चस्व की प्राचीन प्राचीरें 
आयेगी ही कभी-न-कभी तो जनवाद के आंधी 
उड़ जायेंगे जिसमें सारे नकली गांधी 
[३०.०३.२०१३]

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