दामिनी-ई-कोह
रिची बुरु
मंगलवार, 26 मार्च 2013
लौट रही हैं लड़कियां
Reyazul Haque
एक एक कर लौट रही हैं लड़कियां
माएं जड़ हैं, पिता मौन
पैसे मुर्दा पड़े हैं
सुरमी गिन रही है
सरदार ने अठारह बार
ईंट भट्टे वाले ने तीन महीने
दिल्ली में साल भर
मृत्युशोक में डूबे हैं घर, जंगल, पहाड़
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