किसी से नफरत, किसी पर क्षेम
होली-होलिका पर कक्षा कहानी और व्यंग्य के बाण,
किसको मारे- किसको छोड़ें होगा नया विहान
नए वर्ष संवत पर हमने ठानी है एक बात
होली में हम नहीं करेंगे कभी होली की बात
मिश्रा जी डरकर दुबके हैं, दुबे जी के साथ
वर्मा जी की साली आई है लेकर नई सौगात
परेशान है शर्मा जी भी होली में याद है पिछल्ली बात,
किसने किसको तंग किया था करके रंगों की बरसात,
सड़कों पर शहरों में वीरानी है छाई,
नहीं है यह भारत बंद, नही हैं मंहगाई
होली में मदमस्त लोगों को मन परचम लहराई
ज्यादा लिख नहीं सकता क्योंकि
डर है कहीं मुझ पर ना बन आए
इज्जत बची रहे होली घर में कोई कांग्रेसी ना आए
वैसे भी होली में पानी,रंग, पिचकारी के मूल्यों से हो रहे हम धराशायी
दल के दल-दल से कोई क्यों खेले होली में फाग
बचे रहे उन दस्तों से चंदा देने के बाद
अगले साल की होली अवश्य आप सब के घर आएंगें
जब पुरानी फटफटियां में सौ रुपए लीटर तेल भराएंगें
नाराज नहीं हो जाइएगा सब मित्र और पत्रकार
व्हाइट कॉलर जॉब किया है इस कारण
आपका होगा विशेष सत्कार,
किसकी होली? कैसी होली? हैप्पी होली,हैप्पी होली
होली, हो-ली, ही-ही-ही
काले-काले, हरे-हरे , नीले-नीले रंगे सियार
कौन-कौन है किसको पहचाने, यही होली की बयार
होली की मंगलकामना देने की करता हूं हिम्मत
शर्त एक है घर से मत निकलना करके हिम्मत
मुरलीधर को होली नहीं है पसंद,
क्यों रंगते हो, किसे रंगते हो,रंग बदलते भी हो
बयार के साथ बदलो, दिशा हीन न हो,
होली हो-ली, होली हो-ली होली हो-ली
मुरलीधर की ओर से खबर मन्त्र के सभी धनुर्धरों को हार्दिक अभिनंदन
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