मैं कौन हूँ
मुझको मालूम नहीं
खुद से बेखबर रहता हूँ
जमाने की ख़बर लिए फिरता हूँ
न कोई ख़्वाब है
न कोई मंजिल
मशगूल शाम वो सहर रहता हूँ
ज़माने की फ़िक्र लिए फिरता हूँ
न खुद को ढूंढा हूँ
न की है ढूंढने की कोशिश
दिन रात गमे दहर रहता हूँ
जमाने की तस्वीर लिए फिरता हूँ
मैं हूँ बीमार
जहाँ बीनी है फितरत मेरी
खुद से बेखबर रहता हूँ
ज़माने की खबर लिए फिरता हूँ
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