टूटी हूई भाग्य की तस्वीर
.कुचीयों ने हर रंग को
तस्वीर पर सजाया
तस्वीर के भाग्य लिखे
भाग्य की तस्वीर ही टूटी थी
कुची ने हर रंग
के बीच दरार
उभरता रहा
बार बार भरा
चटखारे रंगो ने
भाग्य के तस्वीर
न भर पाया
दरारों में रंग
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें