NAUSHAD ALAM
बहारों का फ़लक चाहता हूँ
तेरे नरगिसी हुस्न की महक चाहता हूँ
मेरी वफाओं का सिला मिले न मिले
तेरी अदाओं का लहक चाहता हूँ
तेरी बाहों का सहारा मिले न मिले
तेरी चूड़ियों की खनक चाहता हूँ
तेरी पलकों की छाँव मिले न मिले
तेरे काजल की चमक चाहता हूँ
तेरे होंठों का जाम मिले न मिले
तेरी शोख़ियों की दमक चाहता हूँ
तेरे क़दम मेरी तरफ बढ़े न बढ़े
तेरी पायल की झनक चाहता हूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें