शनिवार, 26 जुलाई 2014

तेरी रुशवाइयों के बाद होश आया

vinay bharat 

तेरी रुशवाइयों के बाद होश आया
तेरे बहुत करीब खड़ा था मैं

जब चोट लगा दिल में मेरे

यूँ बेहोश सरे बाज़ार पड़ा था मैं


तुझसे वफ़ा की उम्मीद भी न थी
सहम सहम के प्यार करते रहा मैं

सुना था मोहब्बत बड़े काम की चीज
इंसान से देवता बन बैठा था मैं

कई रंगीनियाँ आती - जाती रहीं
तेरे एक प्यार में ठुकराता रहा मैं

अब जब तुमने भी ठोकर दे दी मुझे
क्या गया,क्या बचा -सोचता हूँ मैं!!

just यूँ ही लिखा है : ) आगामी 'कतरन' के लिए!

कोई टिप्पणी नहीं: