गुरुवार, 24 जुलाई 2014

रीढ़ की हड्डी (-- Bhavna Mishra)


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छील डालना उसे आख़िरी परत तक
रोजाना अपने
छोटे छोटे अनवरत प्रहारों से, 
जो एक बार में तोड़ न सको
किसी स्वाभिमानी स्त्री की
रीढ़ की हड्डी !
समाज ने तुम्हें किया है पारंगत इस कला में
कि रिश्तों की छेनी के आलम्ब पर
बेदर्दी से चलाये जाओ अपने अधिकारों की हथौड़ी.
हाँ, तुम रत रहो अपने इस महान उद्देश्य में..
ये मूर्ख औरतें कभी न समझ सकेंगीं
कि इस दुनिया का हर पुरुष एक महान कलाकार है
जो निरंतर गढ़ रहा है
अपने संबंधों की परिधि में
आने वाली प्रत्येक स्त्री को !

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