माटी झारखण्ड की
गाये संघर्षों की गाथा
जलाई गई यहीं
क्रांति की मशाल
इस मिट्टी में
बिरसा तेरा लहूं बहा
लाखों क्रांतिकारियों ने
लड़ हमें अपना राज्य दिया
बिरसा ने शुरू कर लड़ाई
निर्मल को सौंप दिया
सब ने मर कर
इस माटी को आजाद किया
हवाओं में निर्मल सी खुशबू
और माटी में बिरसा का लहूं लाल
200 साल लड़ाई के बाद
झारखण्ड हुआ गुलामी से आजाद
ना हम कभी बंगाली रहे
ना रहे कभी उड़िया
ना हम थे कभी बिहारी
हम कल भी थे झारखंडी
हम आज भी हैं झारखंडी
हमेशा हम रहेंगे झारखंडी
अबुआ दिशुम - अबुआ राज
बस नारा नहीं
यह आवाज है
जो बिरसा ने दिया
गुलामी की हर जंजीर तोड़
हम लड़ेंगे स्वराज के लिए
हम लड़ेंगे हक के लिए
बिरसा की लड़ाई
अब हम भी लड़ेंगे
ना मिला हमको हक जो
वो हम ले के रहेंगे
जमीने लूट गई हमारी
जंगल कट गए हमारे
बाहरियों ने नदियों को भी बांध दिया
युवा हुआ अब झारखण्ड
अब तीर धनुष उठायेगा
अब ना लूटेगा झारखण्ड
हमें अब संकल्प लेना होगा
इस माटी का कर्ज चुकाना होगा
बिरसा के सपनों का
झारखण्ड हमें बनाना होगा
स्थापना दिवस की शुभकामनाएं...
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