शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

फांसी टुगरी (Aloka Kujur)

फांसी टुगरी

धोडे के पैरो से उडाते धुल
टोला टोला छः छः कोस
टुगरी के ई कोह से उ कोह तक
धुल पत्ता से ढके आंगन
मौजूद है, गवाह है
चीता पच्चो की लूटती जमीन पर
गोतिया का पहरा  कब्जा ही तो था
तिलमिलाती बेटी फसल बो कर
शहर कमा आती।
नही काटा अपने फसल को
कनकनी रातों मे भी
पोवाल नही लाया घर
रात भर जलती रही 
चूल्हा चीता पच्चो के
भीतर बाहर होते लोग
बस्ती मे कोना कोना घर से
धुआ को चांदनी रात मे निहारते सब थे
कार्तिक की जाड़ा भूख के आगे कम थे।
संघर्ष टुंगरी के हर घर मे
जस का तस
किसान बेटी  के ललाट पर

दम अभी भी है कल भी था।

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