बुधवार, 14 नवंबर 2018

जीवन कोई धागा नहीं( तीर्थ नाथ आकाश)

जीवन कोई धागा नहीं
कि नोच दिया जाय या
खत्म कर दी जाय
सांस की अंतिम डोर
अटकी है
सब रुक गया है
सब धुंध पड़ने लगा है
अब जीवन का अंतिम क्षण
ये रिस्ते नाते - पैसा कोड़ी
सब मोह माया
सत्य बस मौत है
बाते भले ही बहुत पुरानी
लेकिन यादें ताजा है आज
जैसे बात हो कल परसो की
आपके हांथों की तेल मालिस से
मजबूती से खड़ा हूं आज
बचपन से मेरे समर्थन में
पापा से लड़ना
शायद इसीलिए मैं बिगड़ा हूं
आपका मेरे दर्द पर रोना
मुझे खिलखिलाता देख
आपका भी मुस्कुराना
घर रूपी गुलक का
आप महत्वपूर्ण सिक्का हो
एक भरे पूरे परिवार
की छाया हो आप
हर बात याद आई
आपको देख कर
मन रोया
शायद कुछ पल हो आप
घर के दरवाजे पर
आपका बैठ कर रहना
कहीं से आने पर
सबसे पहले कहना
#कहां_से_आवे_हैं_बेटा
फिर मेरा चिल्ला कर कहना
#की_दिन_भयर_पूछते_रहे_हैं
मैं निःशब्द हूं
दुखी हूं यह सोचकर की
आपको ना देख पाऊंगा
लेकिन हम बस तुच्छ मानव
कर भी क्या सकते है
वक्त के कांटे को घुमा का
कुछ महीने पहले ले जाऊं
रोक दुं उस समय को वहीं
यह बस कहने की बातें हैं
संभव तो नहीं
क्या कहूं अब तो
कहना नहीं कहना सब बेकार
बस अंतिम यह कहूंगा
आपके जाने से
घर की एक पीढ़ी खत्म हो जाएगी
हम याद करेंगे आपको
लेकिन मिल नहीं पाएंगे
जहां भी जाएं आप
हमें याद रखना
मैं जानता हूं
जाने के बाद आना संभव नहीं
लेकिन अगर थोड़ी सी भी
सम्भावना हो तो
लौट आना आप
हम आपकी यादों को समेटेंगे
यह क्षण बड़ा ही दुखदायी
घर की नींव मेरी दादी
अपने अंतिम समय पर आयी
बस सांसे चल रही है
बाकी सब बन्द
अब बस अंतिम क्षण
अब बस अंतिम क्षण.
मेरी दादी की स्थिति नाजुक
बस सांस चल रही है.
सुभाष दादु, बड़ी फुआ, छुटु दादु, लखन दादु.

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