तुम काली हो या गोरी
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम लम्बी हो या छोटी
कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम मोटी हो या पतली
मुझे कोई दिक्कत नहीं
अल्फाज आपके मेरे रूह को छू जाते हैं
आपकी सांसे मेरे सांसों में घुल जाती है
आप जेठ की दुपहरी में
बारिश बन मेरे जीवन को भिगोती हो
तो कभी धान की बाली बन
मेरे जीवन में लहलहाती हो आप
पता नहीं कब आप नदियों की तरह
मेरे जीवन में बहने लगी हो
और घोंसले से दिल में
गौरैया की तरह रहने लगी हो.
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