बुधवार, 14 नवंबर 2018

तन माटी (तीर्थ नाथ आकाश)

तन माटी
तन काया 
इस धरती पर
सब मेहमान
कोई पहले जाता
कोई थोड़े बाद
बस यादें रह जाती है
सब यहीं छूट जाता
जाता कुछ भी नहीं
सब जल माटी हो जाता.

मेरी दादी का देहांत हो गया.

कोई टिप्पणी नहीं: