शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

उसका रसीले ओठ

अलोका

कुछ कहा था
बंद कार के दरवाजे के अंदर से
एक मदहो”ा दिन की
याद कर तडपा रहा
चला गया वो
सारे यादों को कानों में
.गुदगुदा कर
.उस रसीले ओठ से
“ाब्दों को उकेरता

.आज कहीं खो गया।
. मैं जानती हूं
.वह मेरा
.वह भी जानता है
प्यार करता हमारे बीच में
.कितनी दुरिया है इस प्रेम में
.दो “ाहर में
खुद को बांटकर
.मेरा हिस्सा
नहीं वह दे गया।




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