जितनी लम्बी,
हमारी नदियां
उतना लम्बा,
हमारा इतिहास
जितने उंचे,
हमारे पहाड़
उतनी उंची,
हमारी संस्कृति
जितने घंना,
हमारे जंगल
उतना घनी,
हमारा विशवास
जितने कोमल,
हमारे पलाश
उतनी मिटठी,
हमारी राग
जितने फूटे ,
हमारे झरने
उतनी सुन्दर ,हमारी तान
जितने नगाड हमारे
संग
उतनी उंचा हमारे एलान
जितने थीरके पांव
हमारे
उतना एकता का है भाव
जितने रंग है फुलो मे
उतना मिट्टी के है खुशबु
जितनी वाणी हमारे साथ
उतनी भाषा का है
प्रभाव
जितना लम्बी,
हमारी पगड़डी
उतनी लम्बी हमारा
संघर्ष
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