रविवार, 29 अगस्त 2010

सावन में

प्रेम प्रकाsh

सावन में तुम तो
आये सजना
पर सावन में
आया नहीं सावन

ला£ों का सावन
मनभावन सावन

फूलों से
गायब है सावन
बागों से
गायब है सावन
गीतों से
गायब है सावन
£ेतों से
गायब है सावन
सावन मे

बिन सावन
कैसे गायें
कजरी सावन

मनभावन सावन
लुभावन सावन

किसने चुराया
ये सावन
कहाॅ छुपाया
ये सावन
जाओ.........!
जाओ.........!
मेरे साजन
ढ़ुॅढ़ के लाओ
ये सावन
छीन के लाओ
ये सावन
मनभावन सावन
लुभावन सावन
प्रेम प्रकाsh

2 टिप्‍पणियां:

mai... ratnakar ने कहा…

wah!!! sawan ke liye tadap ka adbhut chirtan kiya hai
ek shikayat hai... ye font kee galatee to hataiye, swadisht vyanjayan men kaknkad jaisa lagata hai
ummeed hai aap ko bura naheen lagega

mukesh ने कहा…

तू क्या जाने वफ़ा तड़प क्या चीज होती है,
सजनी बिन साजन का क्या हाल होता है.
जब भी बरसे रिमझिम पानी,दादुर गीत सुनाये
सनम तुम हमको बहुत याद आये.