-पीयूष पंत
मना लो तुम आजदी, फहरा लो तिरंगा
कौन जाने कल, अब क्या होगा,
जिस तरह हमारी अभिव्यक्ति पर
पहरा लगाया जा रहा है,
देश की गरिमा और अस्मिता को
विश्व बैंक के हाथों
नीलाम किया जा रहा है,
‘विकास’ के नाम पर गरीबों, मजदूरों
और किसानों का आशियाना
उजाड़ा जा रहा है,
और जाति-धर्म के नाम पर कौम को
आपस में लड़ाया जा रहा है,
उठो कि अब थाम लो हाथ में मशाल तुम!
बचा लो, बचा लो तिरंगे की ‘आन’ तुम!!
मना लो तुम आजदी, फहरा लो तिरंगा
कौन जाने कल, अब क्या होगा,
जिस तरह हमारी अभिव्यक्ति पर
पहरा लगाया जा रहा है,
देश की गरिमा और अस्मिता को
विश्व बैंक के हाथों
नीलाम किया जा रहा है,
‘विकास’ के नाम पर गरीबों, मजदूरों
और किसानों का आशियाना
उजाड़ा जा रहा है,
और जाति-धर्म के नाम पर कौम को
आपस में लड़ाया जा रहा है,
उठो कि अब थाम लो हाथ में मशाल तुम!
बचा लो, बचा लो तिरंगे की ‘आन’ तुम!!
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