आलोका कुजूर
कैद है सरहुल
तारीख में
नज्+में कौन
सुनाए
बे तारीख खिला
सरई फुल
नज्+मे कौन सुनाए
लिख रही तकदीर
विकास के नाम
प्रकुति वैषिवक
की चाल
चल रहा साथ- साथ
प्रकृति, विज्ञान की बात
जब बजे नगाड़ा
अखड़ा में
मदहोस नृत्य और
गान
समझो सरई खिला
हंै
घरती हो गई मताईल
कैद में फगुआ
तारीख में
पलास हो गया
बेकार
कृतिम रंग में
रंगा फगुआ
भौजी को कौन
समझाए
टह-टही रंग लाल
अब
बदल दी अपनी चाल
रंग बिरगी रंगो
ने
फगुआ की कर दी
चार
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