गुरुवार, 25 जनवरी 2018

दुर्गावती

आलोका 
सुना तुमने
चीख चीख जगा रही 
हमसब को 
दुर्गावती
हे भारत के मुल निवासी 
घेर लिया आज श्ॠ्ओ को 
अब तो जागो भारत के वीरो 
उलगुलानी है वक्त 
 मांग छोड़, मोह छोड़  
वीरो बनो बीर बनो
भटक क्यो गये राहो से 
यह वन तुम्हारा है
 क्यो अनदेखी कर रहे 
ये धरती तुम्हरी है  
बुंद बुंद. जल तुम्हारा
जोरो से पुकार रहा  
याद करो बिरसा के वाणी 
उलगुलान  आग से धरती
है जगमगयीं
 बासिंया चरपोटा भी राजा थे 
चल कपट से मारा था 
बस्तर कि जिवनी याद करो 
 शोषित किसपे हो रहा  
भारत के मुल निवासी
अब तो होश संभालगे  
वक्त नही सोने का
हाथो मे हथियार लो 
रणभूमि मे कुद कर 
आज तुम दहाड दो 
वंशज हो रानी दू्र्गावती का  
हर जगह फहरादो परचम 
अब भारत के मुल निवासियो 
 सुन लो कहना तुम
 बिरसा का
 दिवाने को जीत है निश्चित
ठान लो जागो सब
नही तो गुलामी करोगे जी भर कर
 जीना सिख लो अपने लिये है। 


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