आलोका
सुना तुमने
चीख चीख जगा रही
हमसब को
दुर्गावती
हे भारत के मुल
निवासी
घेर लिया आज
श्ॠ्ओ को
अब तो जागो भारत
के वीरो
उलगुलानी है
वक्त
मांग छोड़, मोह छोड़
वीरो बनो बीर बनो
भटक क्यो गये
राहो से
यह वन तुम्हारा
है
क्यो अनदेखी कर रहे
ये धरती तुम्हरी है
बुंद बुंद. जल
तुम्हारा
जोरो से पुकार
रहा
याद करो बिरसा
के वाणी
उलगुलान आग से धरती
है जगमगयीं
बासिंया चरपोटा भी राजा थे
चल कपट से मारा
था
बस्तर कि जिवनी
याद करो
शोषित किसपे हो रहा
भारत के मुल
निवासी
अब तो होश संभालगे
वक्त नही सोने
का
हाथो मे हथियार
लो
रणभूमि मे कुद
कर
आज तुम दहाड दो
वंशज हो रानी
दू्र्गावती का
हर जगह फहरादो
परचम
अब भारत के मुल निवासियो
सुन लो कहना तुम
बिरसा का
दिवाने को जीत है निश्चित
ठान लो जागो सब
नही तो गुलामी
करोगे जी भर कर
जीना सिख लो अपने लिये है।
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