सोमवार, 7 नवंबर 2011

मैं इस जहां में
अपने प्रेम के लिए
जगह बना जाउगी
जिस पर आने वाला कल
खोजेगा
दिल की गहराई को
अक्षर में डालेगा
हमदोनो एक करि”मा कर जाएगे
इस घरती को कुछ देकर जाएगें



काश

तमसिल 
काश कोई
एक ऐसा
रिश्ता होता,
अपना बनाया हुआ,
जो तुम्हारे अंहकार से बड़ा होता,
जिस रिश्ते को तुम अपने लिए नहीं,
बस उस रिश्ते के लिए जीते,
बिना किसी झूठ, बिना बनावट,
बिल्कुल ईमानदारी से .....
काश कोई एक रिश्ता
तुम ऐसा निभा पाते
जिस में तुम ये न पूछते,
कि मैं ने क्या खोया ....
उस रिश्ते से तुम सब कुछ पा जाते !
हश्र में खुदा भी उस रिश्ते को,
उस की पाकीज़गी को,
और तुम्हारी ईमानदारी को सलाम करता ....
. काश तुम एक सच का रिश्ता निभा पाते .....
जिसे तुम ने ख़ुद बनाया था ....
लेकिन जो तुम्हारे ही अंहकार से छोटा पड़ गया ...... 

काश 
एक ऐसी
ग़ज़ल लिख पाता
जो तुम्हें हश्र में सुनाता.
जिस में सिर्फ़ प्यार,
और समर्पण की बात होती.
जिसे सुन कर ख़ुदा भी रश्क करता .....
तुम्हें मालूम है,
वो ग़ज़ल भी लिखी है मैं ने,
बस तुम्हें
सुना नहीं पाया आज तक.....अंहकार, 
ज़िद ...
और क्या क्या .....
मेरी ग़ज़ल तो प्यार की है ....
ये वही समझ पायेगा जो ईमानदारी से प्यार कर सके ..

साहिल

तमसिल 

ये वफ़ा का सिला है , तो कोई बात नहीं
ये दर्द तुम ने दिया है , तो कोई बात नहीं

यही बहुत है की तुम देखते हो साहिल से
दिल डूब रहा है , तो कोई बात नहीं

रखा था आशियाना -ऐ -दिल में छुपा के तुमको
वो घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

तुम ही ने आएना -ऐ -दिल मेरा बनाया था
तुम ही ने इसको तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं

कहाँ किसी में है हिम्मत जो कहे दीवाना
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं

यार जुलाहे !



तमसिल  

मुझको भी तरकीब सीखा कोई यार जुलाहे !
अक्सर तुझको देखा है की 
ताने बुनते जब कोई टूट गया
या ख़त्म हुआ
फिर  से बांध के और सिरा कोई जोड़ के
उसमें आगे बुनने लगते हो,
तेरे इस ताने में,
लेकिन एक बार भी
गाँठ गिरह बुनकर की देख नहीं सकता है कोई,
मैंने तो एक बार बुना था
एक ही रिश्ता,
लेकिन उसकी सारी गिरहें,
साफ़ नज़र आते हैं
मेरे यार जुलाहे !- 

शनिवार, 13 अगस्त 2011

फेसबुक

काम वाली बाई
एक दिन अचानक
काम पर नहीं आई
तो पत्नी ने फोन पर डांट लगाईं
अगर तुझे आज नहीं आना था
तो पहले बताना था

वह बोली -
मैंने तो परसों ही
फेसबुक पर लिख दिया था क़ि
एक सप्ताह के लिए गोवा जा रही हूँ
पहले अपडेट रहो
फिर भी पता न चले तो कहो

पत्नी बोली =
तो तू फेसबुक पर भी है
उसने जवाब  दिया -
मै तो बहुत पहले से फेसबुक पर हूँ
साहब मेरे फ्रेंड हैं !

बिलकुल नहीं झिझकते हैं
मेरे प्रत्येक अपडेट पर
बिंदास कमेन्ट लिखते हैं
मेरे इस अपडेट पर
उन्होंने कमेन्ट लिखा
हैप्पी जर्नी, टेक केयर,
आई मिस यू, जल्दी आना
मुझे नहीं भाएगा पत्नी के हाथ का खाना

इतना सुनते ही मुसीबत बढ़ गयी
पत्नी ने फोन बंद किया
और मेरी छाती पर चढ़ गयी
गब्बर सिंह के अंदाज़ में बोली -
तेरा क्या होगा रे कालिया !
मैंने कहा -देवी !
मैंने तेरे साथ फेरे खाए हैं
वह बोली -
तो अब मेरे हाथ का खाना भी खा !

अचानक दोबारा फोन करके
पत्नी ने काम वाली बाई से
पूछा, घबराये-घबराए
तेरे पास गोवा जाने के लिए
पैसे कहाँ से आये ?

वह बोली- सक्सेना जी के साथ
एलटीसी पर आई हूँ
पिछले साल वर्माजी के साथ
उनकी कामवाली बाई गयी थी
तब मै नई-नई थी
जब मैंने रोते हुए
उन्हें अपनी  जलन का कारण बताया
तब उन्होंने ही समझाया
क़ि वर्माजी की कामवाली बाई के
भाग्य से बिलकुल नहीं जलना
अगले साल दिसम्बर में
मैडम जब मायके जायगी
तब तू मेरे साथ चलना !

पहले लोग कैशबुक खोलते थे
आजकल फेसबुक खोलते हैं
हर कोई फेसबुक में बिजी है
कैशबुक खोलने के लिए कमाना पड़ता है
इसलिए फेसबुक ईजी है

आदमी कंप्यूटर के सामने बैठकर
रात-रातभर जागता है
बिंदास बातें करने के लिए
पराई औरतों के पीछे भागता है

लेकिन इस प्रकरण से
मेरी समझ में यह बात आई है
क़ि जिसे वह बिंदास मॉडल समझ रहा है
वह तो किसी की कामवाली बाई है
जिसने कन्फ्यूज़ करने के लिए
किसी जवान सुन्दर लड़की की फोटो लगाईं है
सारा का सारा मामला लुक पर है
और अब तो मेरा कुत्ता भी फेसबुक पर है     

रविवार, 7 अगस्त 2011

फेसबुक

प्रवीन  राज् गाडिया 
 
काम वाली बाई
एक दिन अचानक
काम पर नहीं आई
तो पत्नी ने फोन पर डांट लगाईं
अगर तुझे आज नहीं आना था
तो पहले बताना था
 
वह बोली -
मैंने तो परसों ही
फेसबुक पर लिख दिया था क़ि
एक सप्ताह के लिए गोवा जा रही हूँ
पहले अपडेट रहो
फिर भी पता न चले तो कहो
 
पत्नी बोली =
तो तू फेसबुक पर भी है
उसने जवाब  दिया -
मै तो बहुत पहले से फेसबुक पर हूँ
साहब मेरे फ्रेंड हैं !
 
बिलकुल नहीं झिझकते हैं
मेरे प्रत्येक अपडेट पर
बिंदास कमेन्ट लिखते हैं
मेरे इस अपडेट पर
उन्होंने कमेन्ट लिखा
हैप्पी जर्नी, टेक केयर,
आई मिस यू, जल्दी आना
मुझे नहीं भाएगा पत्नी के हाथ का खाना
 
इतना सुनते ही मुसीबत बढ़ गयी
पत्नी ने फोन बंद किया
और मेरी छाती पर चढ़ गयी
गब्बर सिंह के अंदाज़ में बोली -
तेरा क्या होगा रे कालिया !
मैंने कहा -देवी !
मैंने तेरे साथ फेरे खाए हैं
वह बोली -
तो अब मेरे हाथ का खाना भी खा !
 
अचानक दोबारा फोन करके
पत्नी ने काम वाली बाई से
पूछा, घबराये-घबराए
तेरे पास गोवा जाने के लिए
पैसे कहाँ से आये ?
 
वह बोली- सक्सेना जी के साथ
एलटीसी पर आई हूँ
पिछले साल वर्माजी के साथ
उनकी कामवाली बाई गयी थी
तब मै नई-नई थी
जब मैंने रोते हुए
उन्हें अपनी  जलन का कारण बताया
तब उन्होंने ही समझाया
क़ि वर्माजी की कामवाली बाई के
भाग्य से बिलकुल नहीं जलना
अगले साल दिसम्बर में
मैडम जब मायके जायगी
तब तू मेरे साथ चलना !
 
पहले लोग कैशबुक खोलते थे
आजकल फेसबुक खोलते हैं
हर कोई फेसबुक में बिजी है
कैशबुक खोलने के लिए कमाना पड़ता है
इसलिए फेसबुक ईजी है
 
आदमी कंप्यूटर के सामने बैठकर
रात-रातभर जागता है
बिंदास बातें करने के लिए
पराई औरतों के पीछे भागता है
 
लेकिन इस प्रकरण से
मेरी समझ में यह बात आई है
क़ि जिसे वह बिंदास मॉडल समझ रहा है
वह तो किसी की कामवाली बाई है
जिसने कन्फ्यूज़ करने के लिए
किसी जवान सुन्दर लड़की की फोटो लगाईं है
सारा का सारा मामला लुक पर है
और अब तो मेरा कुत्ता भी फेसबुक पर है     

सोमवार, 11 जुलाई 2011

कल ही एक कविता लिखी है भेज रहा हूँ.


                              
                नागार्जुन के नाम

पीयूष पन्त
                          
        ८ जुलाई २०११
शब्द हुए बंधक
           कलम हुई दासी
          जनता में फैली अजब उदासी
         मुट्ठी जब भिंचती है उठने को ऊपर
        त्योरियां तब चढ़ जाती हैं उनकी क्यों कर
       नारे उछलते हैं गगनभेदी
       मानो बजती हो दुन्दुभी जनयुद्ध की 

      होते इशारे फिर कहर है बरपाता
      जनता पर डंडे और गोली बरसाता
     बार- बार लोकतंत्र की कसमें है खाता
     सत्ता के नशे में रहता मदमाता 
     फिर भी वो जनता का नेता कहलाता 

    कैसा ये लोकतंत्र कैसी आज़ादी 
    बोलने समझने की, जहाँ ना हो मुनादी 

                                      

रविवार, 3 जुलाई 2011

यह एक फसाना नहीं..


तमसिल

यह एक फसाना नहीं, 
हकीकत है
अपना एक जहां यहां है
एक वहां है
प्यार पनपता यहां है
और परवान चढ़ता वहां है
जिंदगी कटती यहां है
और रक्स होती वहां है
दिल रहता यहां है
और धड़कता वहां है
सपने दिखते यहां है
और साकार होते वहां है
इरादे बनते यहां है
और मजबूत होते वहां है
गरचे सच कहूं तो तमसिल
इस जहां से उस जहां तक
जद्दोजहद जिंदगी का हर लम्हा है



शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

हर कोई को हक है



तमसिल  

हर कोई को हक है
अपनी जिंदगी जीने
दिल लगाने और मुस्कुराने का
दर्द क्यों उभरता है मेरे सीने का

हर कोई को हक है
अपने फैसले लेने
सपने सजाने और दुनिया बसाने का
हौसला क्यों टूटता है मेरे जीने का

हर कोई को हक है
अपने लिए सोचने
समझने और फिक्र करने का
दिल क्यों करता है जहर पीने का

हर कोई को हक है
अपने हुस्न पे इतराने
खिलखिलाने और गुनगुनानेे का
चैन क्यों खोता है दिन रात का  
           30.06.2011




शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

दूरियां चाहे लाख हो

  तमसिल 

दूरियां चाहे लाख हो
इस रिश्ते की गर्माहट कम न होगी
जुदाई चाहे कितनी भी लम्बी हो
इस प्यार की गहराई कम न होगी
भले ही तुम न हो पास
मगर हर वक़्त
हर पल रहता है
तेरे साथ होने का एहसास
 माना कि हम दूर हैं 
तेरी जुल्फों के साये से महरूम हैं
मगर यादों में रहती हो हरदम
ओ मेरे हमसफ़र मेरे हमदम

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

सरहुल

आलोका
  
मांदर की थाप
हडिया
झूमर
और सरई फूल
आया प्रकृति परब सरहुल
 
सरई का सुगंध
जंगल- जंगल
बोने- बोन
और खेत- खलिहान
सब मस्ती में मग्न
 
उल्लास
भक्ति
और प्रेम  
आस्था के कई  रंग 
प्रकृति के संग
 
शुद्ध हवा के झोंके
रंगबिरंगे फूल
आया प्रकृति परब सरहुल
 
 
 

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

खामोश अंधेरा

खामोश  अंधेरा  
आलोक
आज शहर की रात गहरी है
खामोश अँधेरा  है
रात रुक गई है
लग रहा है
कल का सूरज
आश्मान में आयगा भी की नहीं
उस घर जहा
कल तक सपने बुने जाते थे
जहाँ
आज सपने लुटते हुए देखा  है
वर्सो लग गए थे
आसियान  बने में
पल में मिटटी में
बदल दिया
उनके जहा को
आज उनके जहा
अँधेरा है
कल का सपना
बदल गया है
पल में आपने
बेगाने हो गए है


गुरुवार, 24 मार्च 2011

शहादत

डा0 खगेन्द्र ठाकूर
 
मैं उभी जिस मूर्ति के पास खड़ा हूं।
वह एक  शहीद की  है,
मैं उसे सहला रहा हूंँ
बहुत अच्छा लग रहा है।
बहुत ही जीवन्त मूर्ति है।
कलाकार ने उडेल दी है।
अपनी सारी कला
इसे जीवन्त बनाने में
तभी अचानक मेरे मन में
यह विचार आया कि
यदि अचानक दौड़ने खून उनकी नसो से
और वह मेरा हाथ पकड़ ले
और कहे- कामरेड
चलो यही समय है कूच करने का
तो मैं क्या करूँगा?
यह विचार मन में आते है
मैं वहां सरपअ
भाग खड़ा हुआ।

रविवार, 20 मार्च 2011

उम्मीद के पालू में रिश्ते

उम्मीद के पालू में रिश्ते 
 एक रिश्ता हर कोई के पास है.
हर के पास एक आशा 
उम्मीद हर के पास 
बंधे है पालू में 




शनिवार, 19 मार्च 2011

तुम्हारे शहर

 mirchi
तुम्हारे शहर का मौसम
बड़ा सुहाना लगने लगा
सुबह के घुप की कोमलता
बड़ा सुहाना होता है।
दिन की रौशनी में
तपते-तड़पते अच्छा लगे
नहीं संभव है तुम्हे भुलाना
तुम्हे भुलाने में हमें जमाना लगे।
बुरा न मानों
तो शाम थोड़ा चुरा ले
न जाने तुम
इतना जिन्दगी से बेबस
क्यों लगे
इतना जिन्दगी से
अगर वेबस न होतो
तेरे शहर से
थोड़ा छण दिल लगी
कर आए