आलोका
मांदर की थाप
हडिया
झूमर
और सरई फूल
आया प्रकृति परब सरहुल
सरई का सुगंध
जंगल- जंगल
बोने- बोन
और खेत- खलिहान
सब मस्ती में मग्न
उल्लास
भक्ति
और प्रेम
आस्था के कई रंग
प्रकृति के संग
शुद्ध हवा के झोंके
रंगबिरंगे फूल
आया प्रकृति परब सरहुल
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