अलोका
झारखण्डी के आंखों से
मै देखा हुं दर्द रे
विकास दूर नजर आए,
बड़ी दूर नजर आए
जब बैठी उनके साथ
मन में उसके सपने आए
एक गांव था सबके
ओ अब खोने लगा है।
वोट देकर
हाय सब कुछ लुटने लगा है।
इस सरकार के भरोसे पे
सब सूखने लगा है।
भूल के जब गांव रे
जाती हूं देखने
मर मर के जी रहे हैं।
लुट रहे जमीन जंगल को
दिन रात दुआ मांगे
आदिवासी सबके वास्ते
कभी अपनी उम्मोदांे का
फूल न मुरझाए
झारखण्ड जब से सरकार के
रंगों मों रंगा है।
गांव गांव में जनता रोने लगी है।
सबके प्यार भरे सपने
कहीं ये व्यवस्था छिन न ले
मन दुखी हो जाए
विकास दूर नजर आए,
बड़ी दूर नजर आए
जब बैठी उनके साथ
मन में उसके सपने आए
एक गांव था सबके
ओ अब खोने लगा है।
वोट देकर
हाय सब कुछ लुटने लगा है।
इस सरकार के भरोसे पे
सब सूखने लगा है।
भूल के जब गांव रे
जाती हूं देखने
मर मर के जी रहे हैं।
लुट रहे जमीन जंगल को
दिन रात दुआ मांगे
आदिवासी सबके वास्ते
कभी अपनी उम्मोदांे का
फूल न मुरझाए
झारखण्ड जब से सरकार के
रंगों मों रंगा है।
गांव गांव में जनता रोने लगी है।
सबके प्यार भरे सपने
कहीं ये व्यवस्था छिन न ले
मन दुखी हो जाए
1 टिप्पणी:
बहुत सटीक और समसामयिक।
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