mirchi
त्योहार दशहरा का
उमंग आसमान पर थी।
मानों सारा संसार की ख़ुशी
प्रिया के दमन पर हो
वक्त और बाजार के बीच
नन्हीं सी प्रिया
पूजा के आनन्द के साथ
खिलौने की ओर
लग रहा था
बाजार में सजें नन्हें बच्चों के दुकान
उनके शो रूम की तरह थे।
बिक रहीं थी बंदूक
गाडि़यां, गुडिया बाजार से गायब थे
मिठाईया पंसद से
गायब हो गयी
चैमिन ने अपना धाक
प्रिया के जीवन में जमाया।
1 टिप्पणी:
bahut kuchh badal gaya hai ab... pyaari kavita...
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