शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

सागर

अंजू प्रसाद

तू सागर है.
समुद्र है.
दूर तक पानी ही पानी.
बस खारा पानी .
जो आँखों से निकलती है.
बीच सागर मे भी प्यासी.
प्यास नहीं बुझती पानी
चारों और सिर्फ पानी ही पानी.
बस खारा पानी

1 टिप्पणी:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..