गुरुवार, 14 अक्टूबर 2010

इंतजार की शाम

मिर्ची

पुरे देश मै
अमन,शांति के पीगम
पहुची जा रही है.
एकता अत्तुता पर मजबूती बनी जा रही थी.
राजनीती पार्ट हो या धार्मिक गुरु
हर अस्थान मै एकजुट
दिखी जा रही थी
इतना प्रेम. भएइचारा
सपने में नहीं था
कभी
गुमनाम फैसले पे
मीटिंग कर रहे थे सभी
इंतजार की शाम का.
थे


3 टिप्‍पणियां:

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति .

श्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

Aloka ने कहा…

ji thanks for u.