शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

हम बस्तर के आदिवासी : एक गीत


आज़ाद सक्सेना


हम बस्तर के आदिवासी
आओ तुम्हे हम गीत सुनाएं
जो बीती है हम पे
आज हम सब खुल के बताएं
जो बीती है हम पे

अरे जागो मेरे आदिवासी
ओ मेरे वन के निवासी
जब तक तुम नहीं जागोगे
अपना हक नहीं मांगोगे
कुछ भी नहीं है मिलने वाला

हम बस्तर के आदिवासी...

अरे हमारे नदी पे बांध बने हैं
पुल और मकान बने हैं
हमारे पास नहीं है रोटी
तन पे है सिर्फ लंगोटी
सारा प्रशासन डीलम डोल डिलम डोल

हम बस्तर के आदिवासी...

अरे हाकिम आया, अफसर आया
जो भी आया उसने लूटा
मुर्गा काटा, बकरा खाया
हम बस्तर के आदिवासी...

अरे पत्थर तोडा, रोड बनाया
हाकिम आया, अफसर आया
जो भी आया उसने लूटा
हम बस्तर के आदिवासी...

अरे स्कूल है पर मास्टर नहीं है
दवाखाना पर डाक्टर नहीं है
डाक्टर है तो दवाई नहीं है
मास्टर है तो पढाई नहीं है
सारा प्रशासन डीलम डोल

हम बस्तर के आदिवासी...

अरे जागो मेरे आदिवासी
ओ मेरे वन के निवासी

आज़ाद सक्सेना

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