मंगलवार, 21 मई 2013

मुझमें ....


मुझमें ....

समय के दोनों हाथ
फैले रहे मेरी तरफ

आ मेरी बच्ची
मेरी बाँहों में आ
मेरे सीने पर धर अपना सिर

मेरी मुट्ठियाँ खोल
मेरी पीठ पर लद जा ..
मैं तेरा पंखों वाला घोडा ..तू मेरी परी

तेरा उड़नखटोला अपने ही मजबूत कंधों पर ले जाऊँगा

मेरी लाड़ली
पर पहले सीख ले
अपने क़दमों पर चलना

मेरी उंगली पकड़ ठीक से
कुछ इस तरह ..
देख ऐसे

कि जब छोडूँ तुझे
तो तू बची रहे

स्मृतियों के बाहर
मुझमें .

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