शनिवार, 17 जुलाई 2010

व्यथाः मेरी

.अलोका
इतनी व्यस्तता में
व्यथा मेरी तू न सुनता तो
और कौन सुनता
कई बार को”िा”ा की
अपने मन की बातें
तुझसे कहने को
तुम्हारी व्यस्तता ने
दिल से दिल की बात
दरकिनार कर दिया।
त्ुाझे सुनाने की चाहत लिए
विदा हो गयी
तुमसे और तुम्हारे “ाहर से

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