शनिवार, 17 जुलाई 2010

हां मैने चाहा था

02. 06.10 अलोका
. लम्बे दिनों के बाद
.चाह रहीं थी बातें करना।
.गिले ”िाकवे दूर करना
. समय और समझदारी ने
.ऐसा होने नहीं दिया।
.मेरी तमन्ना थी
एक पल कुछ बोल तो दूं।
पब्लिक और प्रेस ने
ऐसा होने नहीं दिया।
.मेरा एकलौता मन
कुछ बाते करना चाह रहा।
आपकी बेचैनी और काम ने
ऐसा होने नहीं दिया।
.दिन ढलता रहा
हम करीब थे।
पर ”िाकायत सुनने का मौका न दिया।
हां मैने चाहा था
पूरा पल आपके पास रहूं
तुमनेे मुझे छूने का मौका ही नहीं दिया।

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