आलोका
पवित्र जल लिए मुलाकात मां से
लिली के इस गुच्छे लिए
कर देना हवा और मन को भी पवित्र
तैरती सुगंधित हवा मे
नवचन्द्रमा से जोग करा आना
नवविधान के रूप मे
धरती मां मिल आना।
मृतोत्थान मात्र वे
चमकते प्रकाश के बीच
चिराग हमेशा बनना
इस ऋतु के बीच
प्रेम का संवाद से ढक लेना।
तेरे लहू की सूली पर
बंसत पूर्णिमा के बीच
मानव मन भूखा है
प्रेम और सन्हे के लिए
धरती मे आज भी जीवत है
संकल्प तेरे लिए
हम मानते है लहू मे
विश्वास भी मन मे
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