डूम्बारी बुरू
इतिहास के पन्नों में दर्ज
बसते है डूम्बारी बुरू नाम जहां
संघर्ष की साँस
हजारों अरमान पल बढे इस मिटटी में
कुछ जीत गये कुछ हार गये
कई नाम अमर हो गये।
खाज है डीह में आज भी
निशान है। बिरसा के लहू का
मौजूद है संघर्ष की महक
तान उलगूलान के मौजूद
खीचती मुटठी, खीचते तीर के कमान
नहीं रूकती कोईल
टकराये आवाल नगांडे के
झूम उठती है जंगल
हर एक साज में
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