कभी कभी जिंदगी मेरी
मुझ से सवाल करती है
क्यों रेत का घर बनाती है
और उसमे बसने के सपने सजातीहै
रेत के घरोंदे क्या जिंदगी भर साथ निभाते है
जो आती है पास समुद्र की लहरें
वो उससे वफ़ा निभाते है
आज एक सवाल जिंदगी से मेने करलिया
क्यों वो हर मोड़ पर मुझको आजमाती है
जिंदगी बिता दी मेने वफ़ाओ का घर बचाने में
क्यों वो रेत के घरोंदो सी मेरी वाफाओ को
बहा ले जाती है ,तू ही बता दे जिंदगी
तू मुझ से वफ़ा क्यों नहीं निभाती है
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