मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

कभी कभी जिंदगी मेरी


कभी कभी जिंदगी मेरी 

मुझ से सवाल करती है 
क्यों रेत का घर बनाती है 
और उसमे बसने के सपने सजातीहै 



रेत के घरोंदे क्या जिंदगी भर साथ निभाते है 
जो आती है पास समुद्र की लहरें 
वो उससे वफ़ा निभाते है 



आज एक सवाल जिंदगी से मेने करलिया 
क्यों वो हर मोड़ पर मुझको आजमाती है 
जिंदगी बिता दी मेने वफ़ाओ का घर बचाने में 
क्यों वो रेत के घरोंदो सी मेरी वाफाओ को 
बहा ले जाती है ,तू ही बता दे जिंदगी 
तू मुझ से वफ़ा क्यों नहीं निभाती है



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