बुधवार, 29 सितंबर 2010

किरण

MIRCHI RANCHI

रिक्तम किरण से ज्यादा
छुती है मुझको तेरी आवाज
ळवा से ज्यादा स्र्प”ा
क्रती है तेरी “ाब्द
प्रेम से ज्यदा
.तेरे पास होने का
एहसास है मुझकों
.अपने हदय से ज्यादा
.तेरे भावनाओं का ख्याल है मुझे
चलते हो दूर कहीं
आहट् सुनाती है मुझे
पास होने पर
दुनिया से बेखबर होती हुं मैं
हर मुलाकात के बाद
खत्म नहीं होती इंतजार
आपकी
क”ती भरती संासों में
वहां तक छुं आने की तमन्ना है मेरी
वफा न किया
वेबफाई न हुई
दुर तलक संचार से
भावना को छुआ तुनें
यह उमंग थी या तन्हाई
छोनो को एहसास ही नहीं

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

संजय भास्‍कर ने कहा…

sabhi rachnaye ek ..se badh kar ek