शाहिद अख्तर
जवां होती हसीं लड़कियां
जवां होती हसीं लड़कियां
दिल के चरखे पर
ख्वाब बुनती हैं
हसीं सुलगते हुए ख्वाब !
तब आरिज़ गुलगूं होता है
हुस्न के तलबगार होते हैं
आंखों से मस्ती छलकती है
अलसाई सी खुद में खोई रहती हैं
गुनगुनाती हैं हर वक्त
जवां होती हसीं लड़कियां...
वक्त गुजरता है
चोर निगाहें अब भी टटोलती हैं।
जवानी की दहलीज लांघते उसके जिस्मो तन
अब ख्वाब तार-तार होते हैं ।
आंखें काटती हैं इंतजार की घडि़यां।
दिल की बस्ती वीरान होती है
और आंखों में सैलाब।
रुखसार पर ढलकता है
सदियों का इंतजार।
जवानी खोती हसीं लड़कियां...
जवां होती हसीं लड़कियां
काटती रह जाती हैं
दिल के चरखे पर
हसीं सपनों का फरेब ।
जवां होती हसीं लड़कियों के लिए
उनके हसीं सपनों के लिए
हसीं सब्ज पत्ते
दरकार होते हैं। - शाहिद अख्तर
1 टिप्पणी:
आपका aloka.ranchi@gmail.com ई-मेल पता शायद हैक हो गया है क्योंकि इस ID से मेरे मेल बाक्स में कुछ ऐसे शीर्षक वाले संदेश आ रहे हैं जो निश्चय ही आपके नहीं हो सकते. संभव हो तो password व ID, दोनों बदल लें.
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