शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

एचबी रोड से कल्बरोड तक (अलोका)

एचबी रोड से कल्बरोड तक
उस वक्त तक हम
अकेले- अकेले थे
अलग- अलग बटे थे।
अपनी व्यथा
दूर जाकर
उसके मंच में कहते थे।
उस वक्त तक हम
अकेले- अकेले ही थे।
अलग- अलग
वि’ाय,
वि”व,
विकास के लिए
बस एक वक्त तक
एक विचार
फिर................

उस वक्त तक हम
अकेले थे।
अलग- अलग
माटी- पार्टी और अपना राज्य
एक सपना
सब देखते रहें............................

उस वक्त तक हम
अकेले थे।
अलग- अलग

उसकी ही मंच से
अलग राज्य के संघर्’ा के लिए
आवाज लगायी हमने
भूखें रहकर कसमें खाई हमनें।
वो वक्त आया
जब हमनें
मिलकर संघर्’ा के रास्ते को
चुनौती पूर्ण बनाया
विकास”ाील और विकसित दे”ा को
चुनौतियों से ललकारा
अपना अ”िायाना बनाया
एचबी रोड से कल्ब रोड तक

झारखण्ड में सामूहिक जीविन
और
आंदोलन में
औरतो लडकियों का योगदान
पहचान का सवाल
रोजगार का सवाल
जल- जंगल- जमीन का सवाल
निरंतर सोचने लगे थें
कल्ब रोड से एचबी रोड़ तक

निरंतर सोच ने जन्म दिया
कोयलकारेां का आंदोलन
नेतरहाट फिल्डिग फाइरिंग रेज
में नगाड़े की गुंज ने
पूरें वि”व में विस्थापन और विकास के बीच
एक सवाल खड़ा कर दिया
मानव अस्तित्व का सवाल
फिर उठता ही गया
सवाल दर सवाल
सवालो के बीच
संघर्’ा जारी रहा
जंजीरों को तोड़ा
मुक्त हुआ झारखण्ड
हमने जीत ली एक आजादी
दे”ाज जनता और दे”ाज विकास की

लेकिन ये क्या?
दे”ाज के सर पर दिकू ...........!
इधर लूट उधर लूट
अंतर मिट गया

हमारी जमीन हमारा गांव
हमारी संस्कृति, हमारा जंगल,
हमारे प”ाु-पक्षी
सब लूट के ले जा रहें है।

छिन्नता जा रहा है
हमारा सब कुछ
आज हम फिर
अकेले- अकेले
अलग- अलग क्यों?
क्या खत्म हो गये?
विकास और विना”ा के सवाल
पूंजी और पानी के सवाल
पक्षी और पूर्वज के सवाल

तब पसरें हुए सन्नाटे के बीच
अलग- अलग
अकेले- अकेले क्यों है।
कल्ब रोड़ से एचबीरोड तक




1 टिप्पणी:

arvind ने कहा…

तब पसरें हुए सन्नाटे के बीच
अलग- अलग
अकेले- अकेले क्यों है।
....bilkul vajib saval.acchi kavita.