जितनी लम्बी
हमारी नदियां
उतना लम्बा
हमारा इतिहास
जितना उंचा
हमारा पहाड़
उतनी उंची
हमारी संस्कृति
जितना घंना
हमारा जंगल
उतना घना
हमारा विशवास
जितना कोमल
हमारा पलाश
उतनी मिटठी
हमारी वाणी
जितने फूटे
हमारे झरने
उतनी सुन्दर
हमारी तान
जितने नगाड़
उतनी उंचा एलान
जितना थीरका गांव
उतना एकता भाव
जितना लाल
हमारी मिट्टी
उतना मजबूत
हमारा काम
जितना लम्बी
हमारी पगड़डी
उतनी लम्बी हमारा संघर्ष
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें