ये रचना हिन्दी में आलोका की है इसका खोरठा में रूपांतरण तीर्थ नाथ "आकाश" ने की है
कैसे करबा याद बिरसा आबा के
सिराय गेलय सब धार
सिराय देलथिन सब ज्जबात
कैसे करबा याद बिरसा आबा के
बेच देलथिन उनखर पहाड़
बेच देलथिन उनखर हवा
उजायड़ देलथिन उनखर बोनवा
कैसे करबा याद बिरसा आबा के
नाय मानबय आबा अबरी
फुलेक माला आर टोकरी से
नाय मानबय अबरी भेड़िया धसान भीड़ से
पुछबय आबा अबरी सबसे
हमनिक बूढ़ा बुजूर्ग के घरेक हाल
उ गाछ कर कहानी
पुछबय आबा
दिये हतय हिसाब
उ सब लोक के
जे जे उलगुलान के बेचल हथीन
जे जे बिरसा आबा के करम के बेचल हथीन€.
सिराय गेलय सब धार
सिराय देलथिन सब ज्जबात
कैसे करबा याद बिरसा आबा के
बेच देलथिन उनखर पहाड़
बेच देलथिन उनखर हवा
उजायड़ देलथिन उनखर बोनवा
कैसे करबा याद बिरसा आबा के
नाय मानबय आबा अबरी
फुलेक माला आर टोकरी से
नाय मानबय अबरी भेड़िया धसान भीड़ से
पुछबय आबा अबरी सबसे
हमनिक बूढ़ा बुजूर्ग के घरेक हाल
उ गाछ कर कहानी
पुछबय आबा
दिये हतय हिसाब
उ सब लोक के
जे जे उलगुलान के बेचल हथीन
जे जे बिरसा आबा के करम के बेचल हथीन€.
------------तीर्थ नाथ "आकाश"