गुरुवार, 3 जनवरी 2013

अनाचार


आज खगेंदर ठाकुर जी ने मुझे फोन पर कहा की मेरे माध्यम से नेट 

पर नये साल की शुब्कामना के साथ मेरे साहित्यक दोस्तों को ये

 आग्रह कर दे की नये साल में नया कर की इन जालिमो से मुक्ति 

दिलाय  



खगेंदर ठाकुर जी  माध्यम  से एक कविता है 


 शासन का डंडा घूम रहा है 

आसू गैस निरंतर टूट रहा है 

जनता का  धैर्य आतुत रहा है 

जनतंत पसीना घुड रहा 

 युवाओ का गुश फुट रहा है 

सत का भ्रम अब टूट रहा है 

दमन का भी तो 

हम टूट रहा है संसद को तो वह कर छुट रहा है 

सरकार की हवा भूल रही है उसकी धिग्धि बंधी 

साँस भी फुल रही है 

प्र्त्येछ पूंजी निवेश में 

 सुब कुछ भूल रही है 

ओबामा संग 

भरत माता को 

हुल  रही है 

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