दामिनी-ई-कोह
रिची बुरु
बुधवार, 30 मई 2012
गुजरे वक्त ने धोखा किया हमसे
गुजरे वक्त ने धोखा किया हमसे
न मंजिल का पता बताया
न सही रास्ता दिखाया
मगर चलें हैं तो
पहुचेंगे उस मुकाम तक
चाहे जितना भी लंबा हो सफर
आए कितने भी मोड़
रहेंगे राह-ए-गुजर
जिंदगी की आखरी सांस तक
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